कूचा-ए-हुस्न छुटा तो हुए रुस्वा-ए-शराब By Sher << मुझे मुस्कुरा मुस्कुरा कर... जिस को सब कहते हैं समुंदर... >> कूचा-ए-हुस्न छुटा तो हुए रुस्वा-ए-शराब अपनी क़िस्मत में जो लिक्खी थी वो ख़्वारी न गई Share on: