कूचा-ए-यार मरकज़-ए-अनवार By Sher << और क्या चाहती है गर्दिश-ए... अगर ग़फ़लत से बाज़ आया जफ... >> कूचा-ए-यार मरकज़-ए-अनवार अपने दामन में दश्त-ए-ग़म की ख़ाक Share on: