कुछ न पा कर भी मुतमइन हैं हम By Sher << नींद उड़ने लगी है आँखों स... सुना है धूप को घर लौटने क... >> कुछ न पा कर भी मुतमइन हैं हम इश्क़ में हाथ क्या ख़ज़ाने लगे Share on: