कुदूरत नहीं अपनी तब्-ए-रवाँ में By Sher << मरने के डर से और कहाँ तक ... शाम तक सुब्ह की नज़रों से... >> कुदूरत नहीं अपनी तब्-ए-रवाँ में बहुत साफ़ बहता है दरिया हमारा Share on: