कुफ़्र फैला है यहाँ तक कि ज़माने में कोई By Sher << वो उट्ठे दर्द उट्ठा हश्र ... ये लाश-ए-बे-कफ़न 'असद... >> कुफ़्र फैला है यहाँ तक कि ज़माने में कोई नाम लेता नहीं भूले से मुसलमानी का Share on: