कुफ्र-ओ-इस्लाम ने मक़्सद को पहुँचने न दिया By Sher << उठा जो मीना-ब-दस्त साक़ी ... ज़रूरी क्या हर इक महफ़िल ... >> कुफ्र-ओ-इस्लाम ने मक़्सद को पहुँचने न दिया काबा-ओ-दैर को संग-ए-रह-ए-मंज़िल समझा Share on: