क्या बदन होगा कि जिस के खोलते जामे का बंद By बदन, Sher << इक अजब शोर बपा है अंदर इश्क़ तू भी ज़रा टिका ले ... >> क्या बदन होगा कि जिस के खोलते जामे का बंद बर्ग-ए-गुल की तरह हर नाख़ुन मोअत्तर हो गया Share on: