क्या बर्बाद जिन को वो तमन्नाएँ तुम्हारी थीं By Sher << मूसा नहीं कि ताब न लाऊँ म... जाते ही उन के ज़ीस्त की स... >> क्या बर्बाद जिन को वो तमन्नाएँ तुम्हारी थीं न हसरत मेरी हसरत थी न अरमाँ मेरा अरमाँ था Share on: