क्या फ़िक्र-ए-आब-ओ-नान कि ग़म कह रहा है अब By Sher << क्या है वो जान-ए-मुजस्सम ... क्या अब भी मुझ पे फ़र्ज़ ... >> क्या फ़िक्र-ए-आब-ओ-नान कि ग़म कह रहा है अब मौजूद हूँ ज़ियाफ़त-ए-दिल और जिगर को मैं Share on: