क्या ग़म जो हसरतों के दिए बुझ गए तमाम By Sher << ख़ुद अपने ग़म ही से की पह... न तुम्हें होश रहे और न मु... >> क्या ग़म जो हसरतों के दिए बुझ गए तमाम दाग़ों से आज घर में चराग़ाँ करेंगे हम Share on: