क्या हँसी आती है मुझ को हज़रत-ए-इंसान पर By Sher << ये क्या कि आशिक़ी में भी ... ज़िंदगी भर की कमाई ये तअल... >> क्या हँसी आती है मुझ को हज़रत-ए-इंसान पर फ़ेल-ए-बद ख़ुद ही करें लानत करें शैतान पर Share on: