क्या ख़ूब मेरे बख़्त की मंडवे चढ़ी है बेल By Sher << मैं एक संग हूँ मुझ में है... दयार-ए-सज्दा में तक़लीद क... >> क्या ख़ूब मेरे बख़्त की मंडवे चढ़ी है बेल ना बाग़ न बहार न काँटा ना फूल हूँ Share on: