क्या किसी का लम्स फिर इंसाँ बनाएगा मुझे By Sher << असातिज़ा ने मिरा हाथ थाम ... ख़्वाब क्या उस का बुना मै... >> क्या किसी का लम्स फिर इंसाँ बनाएगा मुझे उस के जाते ही समूचा जिस्म पत्थर हो गया Share on: