क्या सबब बतलाएँ हँसते हँसते बाहम रुक गए By Sher << मेरी जानिब न बढ़ना अब मोह... इक चाँद है आवारा-ओ-बेताब ... >> क्या सबब बतलाएँ हँसते हँसते बाहम रुक गए ख़ुद-बख़ुद कुछ वो खींचे ईधर उधर हम रुक गए Share on: