क्या शराब-ए-नाब न पस्ती से पाया है उरूज By Sher << हम अपने हाल पर ख़ुद रो दि... या तिरे मुहताज हैं ऐ ख़ून... >> क्या शराब-ए-नाब ने पस्ती से पाया है उरूज सर चढ़ी है हल्क़ से नीचे उतर जाने के ब'अद Share on: