क्या तमाशा है कि आवारा फिराती है मुझे By Sher << रात हवा तूफ़ानी होगी क्या मुसीबत हाथ ख़ाली जाए... >> क्या तमाशा है कि आवारा फिराती है मुझे इक तमन्ना कि मिरे ज़ेर-ए-असर कोई हो Share on: