लब-ए-शीरीं से अगर हो न तेरा लब शीरीं By Sher << गया शबाब न पैग़ाम-ए-वस्ल-... न पाया वक़्त ऐ ज़ाहिद कोई... >> लब-ए-शीरीं से अगर हो न तेरा लब शीरीं कोहकन तू भी तो अब दामन-ए-कोहसार न छोड़ Share on: