लफ़्ज़ लिखना है तो फिर काग़ज़ की निय्यत से न डर By Sher << आरज़ू वस्ल की रखती है परे... अभी तहज़ीब का नौहा न लिखन... >> लफ़्ज़ लिखना है तो फिर काग़ज़ की निय्यत से न डर इस क़दर इज़हार की बे-मानविय्यत से न डर Share on: