लहरें उठ उठ के मगर उस का बदन चूमती थीं By Sher << शहर बे-आब हुआ जाता है वो गेसू बढ़ते जाते हैं बल... >> लहरें उठ उठ के मगर उस का बदन चूमती थीं वो जो पानी में गया ख़ूब ही दरिया चमका Share on: