लज़्ज़त का ज़हर वक़्त-ए-सहर छोड़ कर कोई By Sher << सब अपने अपने दियों के असी... वो अब क्या ख़ाक आए हाए क़... >> लज़्ज़त का ज़हर वक़्त-ए-सहर छोड़ कर कोई शब के तमाम रिश्ते फ़रामोश कर गया Share on: