कअ'बे की तो क्या अस्ल है उस कूचे से आगे By Sher << जो पूछा दिल हमारा क्यूँ ल... तमाम ख़ाना-ब-दोशों में मु... >> कअ'बे की तो क्या अस्ल है उस कूचे से आगे जन्नत हो तो जाए न गुनहगार तुम्हारा Share on: