लम्बी सड़क पे दूर तलक कोई भी न था By Sher << शब-ए-फ़िराक़ की तन्हाइयों... ये ख़ुद-नविश्त तो मुझ को ... >> लम्बी सड़क पे दूर तलक कोई भी न था पलकें झपक रहा था दरीचा खुला हुआ Share on: