लम्हे लम्हे से बनी है ये ज़माने की किताब By Sher << लुत्फ़ ओ राहत की हवस है त... लकीरें खींच रहे हैं सभी ज... >> लम्हे लम्हे से बनी है ये ज़माने की किताब नुक़्ता नुक़्ता यहाँ सदियों का सफ़र लगता है Share on: