लरज़ते काँपते हाथों से बूढ़ा By Sher << सारे चमन को मैं तो समझता ... सुना है कानों के कच्चे हो... >> लरज़ते काँपते हाथों से बूढ़ा चिलम में फिर कोई दुख भर रहा था Share on: