लीडरी चाहो तो लफ़्ज़-ए-क़ौम है मेहमाँ-नवाज़ By Sher << मौलवी साहिब न छोड़ेंगे ख़... क्यूँ सिवल-सर्जन का आना र... >> लीडरी चाहो तो लफ़्ज़-ए-क़ौम है मेहमाँ-नवाज़ गप-नवीसों को और अहल-ए-मेज़ को राज़ी करो Share on: