लोग क्या सादा हैं उम्मीद-ए-वफ़ा रखते हैं By Sher << आमद आमद है ख़िज़ाँ की जान... मैं अक़ीदत में ना'त ल... >> लोग क्या सादा हैं उम्मीद-ए-वफ़ा रखते हैं जैसे मा'लूम नहीं उन को हक़ीक़त तेरी Share on: