लोग लम्हों में ज़िंदा रहते हैं By Sher << उस घर की बदौलत मिरे शेरों... परवाने के हुज़ूर जलाया न ... >> लोग लम्हों में ज़िंदा रहते हैं वक़्त अकेला इसी सबब से है Share on: