लुट के मंज़िल से कोई यूँ तो न आया होगा By Sher << मादर-ए-दहर उठाती है जो हर... लोग कहते हैं मोहब्बत में ... >> लुट के मंज़िल से कोई यूँ तो न आया होगा जिस तरह छोड़ के हम शहर-ए-अदम निकले हैं Share on: