मग़फ़िरत की नज़र आती है बस इतनी सूरत By Sher << जाँ नज़्र की तो दोनों जहा... तिरे महल में हज़ारों चराग... >> मग़फ़िरत की नज़र आती है बस इतनी सूरत हम गुनाहों से पशेमान रहा करते हैं Share on: