मैं अगर तुम को मिला सकता हूँ महर-ओ-माह से By Sher << खुल गए उस की ज़ुल्फ़ के द... 'सौदा' जो तिरा हा... >> मैं अगर तुम को मिला सकता हूँ महर-ओ-माह से अपने लिक्खे पर सियाही भी छिड़क सकता हूँ मैं Share on: