मैं अंदर से कहीं तब्दील होना चाहता था By Sher << हम उस की ज़ुल्फ़ की ज़ंजी... मुसीबत का पहाड़ आख़िर किस... >> मैं अंदर से कहीं तब्दील होना चाहता था पुरानी केंचुली में ही नया होना था मुझ को Share on: