मैं अपनी रूह लिए दर-ब-दर भटकता रहा By Sher << मैं अपने दिल की कहता हूँ जिस को चलना है चले रख़्त-... >> मैं अपनी रूह लिए दर-ब-दर भटकता रहा बदन से दूर मुकम्मल वजूद था मेरा Share on: