मैं भूल जाऊँ तुम्हें अब यही मुनासिब है By Sher << कसरत-ए-सज्दा से पशेमाँ है... मुझ को दुश्मन के इरादों प... >> मैं भूल जाऊँ तुम्हें अब यही मुनासिब है मगर भुलाना भी चाहूँ तो किस तरह भूलूँ Share on: