मैं चाहता हूँ कि तेरी तरफ़ न देखूँ मैं By Sher << वो नहीं आज-कल ख़फ़ा हम से आएगी हर तरफ़ से हवा दस्तक... >> मैं चाहता हूँ कि तेरी तरफ़ न देखूँ मैं मिरी नज़र को मगर तू ने बाँध रक्खा है Share on: