मैं ही अपनी क़ैद में था और मैं ही एक दिन By Sher << दूसरे शख़्स क्या कहूँ तुझ... आप ने अच्छा किया ततहीर-ए-... >> मैं ही अपनी क़ैद में था और मैं ही एक दिन कर के अपने आप को आज़ाद ले जाने लगा Share on: