मैं ही टूट के बिखरा और न रोया वो By Sher << लम्हों के अज़ाब सह रहा हू... मसीह-ओ-ख़िज़्र की उम्रें ... >> मैं ही टूट के बिखरा और न रोया वो अब के हिज्र के मौसम कितने झूटे थे Share on: