मैं हूँ इक पैकर-ए-ख़याल-ओ-ख़्वाब By Sher << मातमी कपड़े पहन लिए थे मे... कोई नहीं जो मिटाए मिरी सि... >> मैं हूँ इक पैकर-ए-ख़याल-ओ-ख़्वाब और कितनी बड़ी हक़ीक़त हूँ Share on: