मैं ज़ेहनी तौर से आज़ाद होने लगता हूँ By Sher << हर शय को इंतिहा है यक़ीं ... धीमा धीमा दर्द सुहाना हम ... >> मैं ज़ेहनी तौर से आज़ाद होने लगता हूँ मिरे शुऊर मुझे अपनी हद के अंदर खींच Share on: