मैं जानता हूँ हवा दुश्मनों ने बाँधी है By Sher << वहाँ जा कर किए हैं मैं ने... हरगिज़ किया न बाद-ए-ख़िज़... >> मैं जानता हूँ हवा दुश्मनों ने बाँधी है इधर जो तेरी गली की हवा नहीं आती Share on: