मैं ने अपनी ख़्वाहिशों का क़त्ल ख़ुद ही कर दिया By Sher << दिल का शजर तो और भी पलने ... उसी ने आग लगाई है सारी बस... >> मैं ने अपनी ख़्वाहिशों का क़त्ल ख़ुद ही कर दिया हाथ ख़ून-आलूद हैं इन को अभी धोया नहीं Share on: