मैं ओझल हो गई माँ की नज़र से By Sher << हम ग़ुलामी को मुक़द्दर की... हसीनों की जफ़ाएँ भी तलव्व... >> मैं ओझल हो गई माँ की नज़र से गली में जब कोई बारात आई Share on: