मैं रूह-ए-आलम-ए-इम्काँ में शरह-ए-अज़्मत-ए-यज़्दाँ By Sher << डराएगी हमें क्या हिज्र की... बस अब तो दामन-ए-दिल छोड़ ... >> मैं रूह-ए-आलम-ए-इम्काँ में शरह-ए-अज़्मत-ए-यज़्दाँ अज़ल है मेरी बेदारी अबद ख़्वाब-ए-गिराँ मेरा Share on: