मैं सुन रहा हूँ मगर दूसरों को कैसे सुनाऊँ By Sher << कहाँ है दिल जो कहूँ होवे ... ज़र्फ़-ए-वज़ू है जाम है इ... >> मैं सुन रहा हूँ मगर दूसरों को कैसे सुनाऊँ जो गीत गूँजता रहता है मेरे कानों में Share on: