मैं तकिए पर सितारे बो रहा हूँ By Sher << समेट लो मुझे अपनी सदा के ... सफ़र का मरहला-ए-सख़्त ही ... >> मैं तकिए पर सितारे बो रहा हूँ जनम-दिन है अकेला रो रहा हूँ Share on: