मैं तमाशा हूँ तमाशाई हैं चारों जानिब By Sher << कुछ तो अपनी गर्दनें कज है... कोई शिकवा कोई गिला दे दे >> मैं तमाशा हूँ तमाशाई हैं चारों जानिब शर्म है शर्म के मारे नहीं रो सकता मैं Share on: