मैं तरह डालूँ अगर सोच कर कहीं घर की By Sher << मैं तेरे डर से न देखा उधर... मैं सवा शेर के कुछ और समझ... >> मैं तरह डालूँ अगर सोच कर कहीं घर की तो आसमाँ हो मिरे हक़ में वो ज़मीं घर की Share on: