मैं तेरी चाह में झूटा हवस में सच्चा हूँ By Sher << आने वाली बरखा देखें क्या ... जब राख से उट्ठेगा कभी इश्... >> मैं तेरी चाह में झूटा हवस में सच्चा हूँ बुरा समझ ले मगर दूसरों से अच्छा हूँ Share on: