मैं था जब कारवाँ के साथ तो गुलज़ार थी दुनिया By Sher << हम इतना चाहते थे एक दूसरे... मुझ को भी हक़ है ज़िंदगान... >> मैं था जब कारवाँ के साथ तो गुलज़ार थी दुनिया मगर तन्हा हुआ तो हर तरफ़ सहरा ही सहरा था Share on: