मैं तो इतना भी समझने से रहा हों क़ासिर By Sher << ख़ाक में दौलत-ए-पंदार-ओ-अ... चराग़-ए-ख़ाना-ए-दर्वेश हो... >> मैं तो इतना भी समझने से रहा हों क़ासिर राह तकने के सिवा आँख का मक़्सद क्या है Share on: