मैं तुम्हारे शहर की तहज़ीब से वाक़िफ़ न था By Sher << बदन गुल चेहरा गुल रुख़्सा... फ़न में न मोजज़ा न करामात... >> मैं तुम्हारे शहर की तहज़ीब से वाक़िफ़ न था पत्थरों से की नहीं थी गुफ़्तुगू पहले कभी Share on: